Art by Ambs

December 16, 2009

दोस्ती

दोस्ती की दरिया में बहते-बहते,
न जाने कितने ही युग बीत गए,
क्या जानूं यह कब शुरू हुए,
लेकिन हाँ, नहीं यह मिटेंगे कभी|

हँसते-गाते, गिल्ली उड़ाते,
लडते-झगड़ते, गुस्सा दिखाते,
न जाने ऐसे कितने ही रंग-
दोस्ती का हमने उभारा संग-संग|

आंसुओं में एक दूजे के ढ़ाढस बंध-
विषमतावों में आपस का सहारा बन,
याद करूं मैं ऐसे कितने ही क्षण,
जब सँवारे थे हमने दोस्ती का आँगन|

दिल जब हमारे एक हो ही चुके है,
क्यों डरें हम उठते भवंडरों से-
एक है हम, बिझड़ेंगे नहीं कभी हम,
ख़बरदार जो कोई दिखाएँ, नज़र लगाने का दम|

यह दुनिया बनी है प्यार से- दिल के उमंग से,
आशियानों से, निर्मल-सच्ची भावनावों से,
खाएं आज कसम, इसे सुरभित करने का,
मरते दम तक सजाने का, इसे निभाने का|

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