Art by Ambs

December 16, 2009

तुम

पर्छायियों से था नाता मेरा,
तनहायियों से थी बातें मेरा,
जाने थे वो किन गलियों से,
आना तेरा, जीवन में मेरा|

है खूबसूरत दोस्ती यह इतना,
आकाश में तारे हो जितना|
बुरी नज़रों से हरदम संभलना,
पचाएंगे नहीं, इसको जलता ज़माना|

आग के भवंडरों में, अकेली जब थी जकड़ी,
आसरा तो दूर, दुनिया ने क्या यह कलाई भी पकड़ी?
पथरीली सही, चलते रहो तुम बढती,
दोस्ती की ये लहर, जब तक सागर से नहीं मिलती|

कभी पत्थर की रहती थी मूरत,
कभी गुड़ियों से थी न मुझको फुर्सत|
आ गए हो तुम जो अब, बस -
खिला हमेशा है ये सूरत|

गम के बादल झाती थी जब,
आंसूएँ ही बस साथ में थी तब|
तुम जो हो मेरे पास में अब फिर,
गम के तूफ़ान का भी, क्या है मतलब?

नहीं सोचना मुझको इक तिनका,
शीशा हो तुम, मेरे इस मन का,
बेजान मुझमें जब से तू धडका,
जीवन तो है बस महका-महका!

Written on April 24, 2002

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